नई दिल्ली:भाजपा को भारत रत्न से विपक्ष की सियासी दीवार को ढहाने का बड़ा मौका हाथ लगा है। चौधरी चरण सिंह, पीवी नरसिम्हा राव और एसएम स्वामीनाथन के साथ-साथ कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा से भाजपा ने बड़ी सियासत साधी है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक चार बड़े नाम के साथ न सिर्फ पिछड़े दलित और किसानों को साधा गया, बल्कि पीवी नरसिम्हा राव के साथ दक्षिण की सियासत में भी भाजपा ने बड़ा शॉट लगाया है।शुक्रवार को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और कृषि वैज्ञानिक एसएम स्वामीनाथन को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा की गई। इन तीनों नाम की घोषणा के साथ सियासी हलकों में भाजपा के लिहाज से चुनावी नफानुकसान का सियासी आंकलन किया जाने लगा। राजनीतिक विश्लेषक हरिओम तंवर कहते हैं कि कर्पूरी ठाकुर के साथ जिस तरीके से भाजपा ने सियासत को भुनाना शुरू किया, वह इन तीन नामों के साथ और आगे बढ़नी तय है। तंवर कहते हैं कि कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा के कुछ दिनों बाद बिहार के सियासत में बड़ी उथल-पुथल मची। नतीजा हुआ कि नीतीश कुमार एनडीए गठबंधन के साथ आ गए। कर्पूरी ठाकुर के नाम के साथ पिछड़ों, अतिपिछड़ों और दलितों की सियासत जुड़ी, तो राजनीतिक समीकरण ही बदल गए।वह कहते हैं कि राष्ट्रपति की ओर से दिए जाने वाले भारत रत्न के पुरस्कारों का सियासी फायदा भाजपा को मिलता हुआ दिख रहा है। कर्पूरी ठाकुर से जहां उत्तर भारत में पिछड़ी, अतिपिछड़ी और दलितों की सियासत थमी, वहीं चौधरी चरण सिंह से किसानों की बड़ी जमात पर भाजपा अपना दावा करने जा रही है। राजनीतिक जानकार ओमप्रकाश मिश्र कहते हैं कि चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने की मांग यूपीए की सरकार के दौर से हो रही थी। अब जब पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा की जा चुकी है, तो जाट लैंड में भाजपा के लिहाज से सियासी समीकरणों के बदलने का पूरा खाका तैयार हो रहा है। उनका मानना है अगर बदले सियासी समीकरणों के बीच जयंत चौधरी एनडीए के रथ पर सवार होते हैं, तो भाजपा न सिर्फ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों को साधेगी, बल्कि उत्तर भारत के अलग-अलग हिस्सों में बड़े किसान समुदायों और जाटों पर अपना मजबूत दावा कर सकेगी।राजनीतिक जानकारों का मानना है कि किसान आंदोलन से केंद्र सरकार की बड़ी किरकिरी हुई थी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत हरियाणा और पंजाब के किसानों ने दिल्ली में लगातार लंबे समय तक डेरा डाला था। दिल्ली विश्वविद्यालय के राजनीतिक शास्त्र के पूर्व प्रोफेसर ओमवीर सिंह कहते हैं कि सियासत में वर्तमान पर निशाना लगाकर पुरानी अदावतों को भुलाने की कवायद चलती रहती है। इस कड़ी में चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने से किसाने की भाजपा के प्रति तल्खी कम होने का अनुमान पार्टी के लिहाज से लगाया जाना स्वाभाविक है। इसलिए कर्पूरी ठाकुर और चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न की घोषणा से उत्तर भारत की सियासत में राजनीतिक फायदा देखा जा रहा है। इसी तरह एसएम स्वामीनाथन को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा से भी भाजपा को देश के सभी हिस्सों के किसानों से सियासी लाभ मिलता नजर आ रहा है। हालांकि प्रोफेसर सिंह का कहना है कि सियासी नजरिए का आकलन करना और चुनाव परिणाम का सामने होना दोनों में बड़ा अंतर होता है।वरिष्ठ पत्रकार एसवी किरण कुमार कहते हैं कि पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने से भाजपा को दक्षिण भारत में कितना सियासी फायदा होगा यह तो चुनाव के परिणाम बताएंगे। लेकिन एक बात बिल्कुल तय है कि जिस तरह से आर्थिक सुधारों के लिए पीवी नरसिम्हा राव ने देश के विकास में बड़ा योगदान दिया, उसके बाद उन्हें भारत रत्न की सिफारिश भाजपा के लिए बड़ा सियासी माइलेज वाला दांव तो माना ही जा रहा है। उनका कहना है जिस तरीके से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भाजपा अपना विस्तार कर रही है, उसमें पीवी नरसिम्हा राव को दिए जाने वाले भारत रत्न की घोषणा से माइलेज मिल सकता है। एसवी कहते हैं कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भाजपा अपने सियासी विस्तार के लिए पुराने सहयोगियों के साथ गठबंधन करने की कवायद में है। ऐसे में उसे गठबंधन का लाभ और पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न की घोषणा के सियासी माइलेज का अनुमान भाजपा के लिए लगाया जा रहा है।
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