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लगातार संघर्ष से ही चित्तरंजन को निजीकरण से बचाया जा सकता है : तपन सेन

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चित्तरंजन : लगातार संघर्ष से ही चित्तरंजन को निजीकरण से बचाया जा सकता है। उक्त बातें शनिवार की देर शाम स्थानीय एरिया चार कम्युनिटी भवन के मैदान में सीटू के अखिल भारतीय साधारण सचिव तपन सेन ने कही। उन्होंने कहा केन्द्रीय सरकार की इस मंशा को यहां की युनियन के साथ आम लोगों की ताकत से नेस्तनाबूद किया जा सकता है। वहीं आसनसोल के पूर्व सांसद सीटू नेता वंश गोपाल चौधरी ने कहा कि आगामी 9 दिसंबर को दुर्गापुर में चित्तरंजन बचाओ को केन्द्र कर एक विराट सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा जिसमें चिरेका को ना केवल व्यवसायिक द्रष्टिकोण से बल्कि सामाजिक और कल्याणकारी भूमिका को ध्यान में रखकर भी प्रबंधित करने की बात पर बल दिया जाएगा।
गौरतलब है, शनिवार की देर शाम आयोजित चिरेका लेवर युनियन की तरफ से इस सभा को युनियन के पूर्व महासचिव आलोक घोष, अर्जुन ठाकुर वासुदेव आचार्या, विवेक चौधरी जैसे नेताओं के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित कर कर किया। तदोपरांत, युनियन के महासचिव राजीव गुप्ता ने कहा, आज रेलवे की वित्तीय संपदा देश का है जिसके मालिक संपूर्ण देशवासी है मगर मुनाफा कारपोरेट को होता है। वर्तमान समय में चित्तरंजन में भी उत्पादन की नई तकनीक की चाबी किसी ना किसी निजी कंपनी के पास है।राजीव गुप्ता ने आगे कहा, चिरेका में जहां इंजन उत्पादन बढ़ रहा है वहीं नयी नियुक्तियां नहीं के बराबर है। रिक्त पदों को भरे बिना ही उन पदों को समाप्त किया जा रहा है। रेलवे निजीकरण का मतलब है देश की संपत्ति को कारपोरेट जगत को सौंपना। देश की सुरक्षा के साथ विश्वासघात करना।
सभा के मंच का संचालन आर एस चौहान ने किया।

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