आसनसोल:बर्नपुर के संप्रति भवन में प्रोग्रेसिव मेडिकल प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित सेमिनार में चिकित्सा के क्षेत्र में हो रही उपलब्धियों पर चर्चा हुई।साथ ही रूरल मेडिकल प्रैक्टिशनर्स की समस्याओं पर भी विचार व्यक्त किए गए।बतौर विशेष मेहमान उपस्थित मीडिया पर्सनैलिटी तथा समाज सेवी संजय सिन्हा का इस मौके पर पुरजोर तरीके से स्वागत किया गया।उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि बड़े बड़े डिग्रीधारी चिकित्सकों के अलावा गांव – गिराम और मोहल्लों में प्रैक्टिस करने वाले आरएमपी चिकत्सकों की भी समाज में अहम भूमिका रहती है।इनकी वजह से अत्यंत निम्न परिवार के मरीजों की जान बच जाती है।ऐसे ‘ झोला छाप ‘ डॉक्टरों को भी उचित सम्मान मिलना चाहिए।संजय सिन्हा ने आगे कहा कि, कोविड महामारी के वक्त भी ऐसे प्रैक्टिशनर्स की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही थी।हालांकि हर क्षेत्र में सिक्के के दो पहलू होते हैं।इस क्षेत्र में भी है,लेकिन आरएमपी डॉक्टरों का सकारात्मक पक्ष ज्यादा मजबूत है,इसलिए इन्हें भी सम्मान और प्यार मिले,इसका खयाल रखें।इन्हें भी सरकारी मदद मिलनी चाहिए।इस मौके पर कोलकाता के डॉ नीलरतन नैया, डॉ तिमिर कांति दास आदि वक्ताओं ने भी अपनी बातें रखीं।यह सेमिनार दो सत्रों में चला।देर शाम इसे विराम मिला।इस संदर्भ में डॉ नजर इमाम अंसारी ने विशेष जानकारी दी।
