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गुदड़ी का लाल:एक डॉक्टर के संघर्ष की कहानी

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जमुई / झाझा,खास बात इंडिया,शक्ति प्रसाद शर्मा की रिपोर्ट :जिले के सोनो प्रखंड मुख्यालय स्थित परवाज स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल के निदेशक चिकित्सक डॉक्टर एम एस परवाज़ की 78 वर्षीय मां हज़रून निशा को अपने पुत्र को इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा था। अपने बेटा की ऊंची पढ़ाई व उसके डॉक्टर बनने की जिस सपने को वह देखी थी उसे पूरा करने के लिए इन्हें गरीबी के साथ लंबा संघर्ष करना पड़ा था। पति के खोने के बाद अभाव के बीच उन्होंने अकेले दम पर संघर्ष कर गांव में प्याज के खेत में मजदूरी करके व कागज का ठूंगा बनाकर उसके बेटा के डॉक्टर बनने का अपने सपने को पूरा की। आज माहरून अपने संघर्ष की जीत पर खुश हुआ संतुष्ट है कि उनका इकलौता पुत्र मोहम्मद साहिन परवाज़ चिकित्सक बनकर समाज की सेवा कर रहा है ।

#बड़े ही कठिन संघर्ष में बीते 15 वर्ष#

डॉक्टर एम एस परवाज की अस्थाई निवासी दर्शाता है मूल रूप से लखीसराय जिला के हलसी गांव के रहने वाली मोहम्मद हज़रुन निशा अपने पति मोहम्मद अली हुसैन के साथ पश्चिम बंगाल के गौरीपुर में रहती थी। इनका पति गौरीपुर जूट मिल में मजदूरी करते थे उन्हें संतान के रूप में एकमात्र पुत्र मिला था 1982 ईस्वी में अली हुसैन की मृत्यु लंगर कैंसर से हो गई उनके इलाज में हज़रून की जेवर बिक गए परंतु अपने पति की नहीं बचा पाए तब उनका पुत्र परवाज महज 8 वर्ष का था उन्हें अपने परिजनों के साथ नहीं मिला आर्थिक रूप से बदहाल होकर जब वह अपने गांव लौटे तब हालात बेहद खराब है गौरीपुर में रहते हुए हजरुन ने अपने पुत्र जो पढ़ा लिखा कर डॉक्टर बनने का सपना देखी थी वही सपना गांव में उसे सोने नहीं देती थी वह अपनी बेटे को अच्छी शिक्षा देने बाहर भेज दी खुद दिन में गांव के किसानों को प्याज के खेत में मजदूरी करने लगी व रात्रि में कागज का डूंगा बनाकर दुकानदारों के देने लगी इससे मिलने वाले रुपए को कोलकाता में पढ़ रहे अपने पुत्र को भेजने लगी परवाज को भी उस रुपए के मूल्य का पता था लिहाजा बड़ी संभल कर उसे खर्च करते थे तथा खुद भी ट्यूशन से ऊपर जन कर अपनी मेडिकल की तैयारी में लगे रहे मोहम्मद हजरून बताती है कि परवाज के किताब के लिए उन्होंने अपने घर की पीतल की कलश को भी बेच दी थी बसेरे की तपस्या व संघर्ष के बाद जब उनका पुत्र मेडिकल की पढ़ाई कर डॉक्टर बना तो उनकी बूढ़ी आंखों में चमक आ गई भले ही इस बीच उनका पुश्तैनी छोटा सा मकान हुआ थोड़े से एक भी गए थे परंतु वह तो विजेता बन गई पुत्र की डॉक्टर बनने का जो सपना देखी थी उसे अनंत में पूरा कर लिया आज उनका पुत्र डॉक्टर एमएस परवाज एक सफल चिकित्सक बनकर सिर्फ नर्सिंग होम चला रहे हैं बल्कि समाज सेवा का भाव मन में रखकर गरीबों के लिए निशुल्क चिकित्सा के लिए व्यवस्था भी किए हैं जो जमुई जिले के सोनो प्रखंड स्थित लाइफ केयर सेंटर के रूप में निशुल्क सेवा दे रहे हैं वही लंबे संघर्ष के इस बात को लेकर अल्लाह को लाख-लाख शुक्रिया अदा करती है कि विषम परिस्थिति में भी उनका विश्वास नहीं डगमगया और उसके मन की मुराद अल्लाह ने पूरा कर दिया यह है डॉक्टर परवाज स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ एम एस परवाज की विषम परिस्थिति की कहानी।

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