भागलपुर,ख़ास बात इंडिया:कहने को तो भागलपुर को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिला है परंतु स्मार्ट जैसी कोई शब्द भागलपुर के साथ नहीं जोड़ना उचित था।कितने बार समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ कि अमुक स्थान पर गंदगी काफी अधिक है या फिर यातायात में जाम की स्थिति हमेशा बनना आम बात हुई।कई बार जाम या गन्दगी या फिर अन्य समस्या जो जनता की है उसके लिए बड़े पदाधिकारी को भी खबर होती है।स्तिथि बहुत दयनीय है भागलपुर की। सुविधाओं में गड़बड़ हो रही है ये वर्ड काउंसलर को खबर जब कोई वायक्ति करता है तो उनका बहाना अक्सर ये होता है कि,निगम में मैनपावर की कमी है।कुछ वार्ड काउंसलर तो अपने वार्ड के जनता को सुनने को भी तैयार नहीं।यहां ये बताना उचित होगा कि,भागलपुर नगरनिगम दलाल के माध्यम से ही चलाया जा रहा है।जितने भी जोनल कार्यालय हैं उनमें स्टॉफ की दैनिक हाजरी ,उपयोग में आने वाले सामानों,तथा डीजल जो जे सी बी के प्रयोग में लाए जाते हैं की भी चोरी हो रही है जो मौजूदा पदाधिकारी को भी भनक होती है ।यहातक की नौकरी जिसकी टेंपररी है उसके नौकरी परमानेंट होने के भी पैसे लिए जा रहे हैं।ये सारी बातें एक स्मार्ट सिटी के स्मार्ट अधिकारी के नजरों से दूर भी नही किया जा रहा। ऐसे में काम कर रहे कर्मचारी प्रताड़ित हो भी रहे हैं।अब बिल्ली के गले में गंटी कौन बांधे।इसके दूसरी और यातायात की बात करें तो ये कहना गलत नहीं होगा की भागलपुर की जनता को बुनियादी सुविधा के लिए भी असुविधा को झेलने की आदत सी हो गई है। आयदिन भागलपुर में कभी स्टेशन चौक ,कभी घंटाघर, कभी कोतवाली तो कभी जिस क्षेत्र में सरकारी पदाधिकारी का आना जाना लगा रहता है उन जगहों पर भी जाम लगने पर ऑफिस जाने में भी देर हो जाया करते है।
