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विधायक गोपाल शर्मा बोले : प्रदेश में पीएम किसान सम्मान निधि में हुआ करोड़ों का घोटाला

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जयपुर (आकाश शर्मा)।* राजस्थान में कांग्रेस सरकार के समय पीएम किसान सम्मान निधि में हुए करोड़ों के फर्जीवाड़े का विषय विधानसभा में गूंजा। सिविल लाइंस विधायक गोपाल शर्मा ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने हजारों अपात्र लोगों को किसान सम्मान निधि का भुगतान किया। उन्होंने मारवाड़ जंक्शन विधानसभा क्षेत्र का उदहारण दिया, जहां 2019 से 2023 के बीच 13,858 अपात्र लोगों को 8.26 करोड़ रुपए दिए जाने का खुलासा हुआ है। शर्मा ने कहा कि अगर एक विधानसभा क्षेत्र की यह हालत है तो पूरे प्रदेश की स्थिति क्या हुई होगी, इसकी जांच होनी चाहिए। यह श्वेतपत्र का विषय है।

*सहकारिता से 16 प्रतिशत आबादी को सीधा लाभ*
विधायक शर्मा ने सहकारिता विभाग से संबंधित अनुदान मांगों पर चर्चा की शुरुआत की। उन्होंने प्रदेश के सहकारिता बजट में 76 प्रतिशत की वृद्धि के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को धन्यवाद दिया। साथ ही, कृषि भूमि की रजिस्ट्री और इंतकाल के लिए सहकारी समिति से अदेय प्रमाण लेना अनिवार्य किए जाने का स्वागत किया। शर्मा ने कहा कि एक वर्ष के कार्यकाल में लगभग 30 लाख किसानों को 20 हजार करोड़ रुपए के रियायती ऋण दिए गए। यह पिछली सरकार के पहले वर्ष की तुलना में तीन गुणा से भी ज्यादा है। आज राजस्थान पैक्स की संख्या के मामले देश के टॉप-5 राज्यों में है और महिला कल्याण समितियों की संख्या में दूसरे स्थान पर है। शर्मा ने कहा कि राजस्थान की 16 प्रतिशत आबादी सहकारिता से जुड़ी हुई है। यहां 2 हजार लोगों पर एक सहकारी समिति बनी हुई है। भजनलाल सरकार के फैसलों से प्रदेश की 42 हजार समितियों से जुड़े 1 करोड 35 लाख लोगों को विकास के नए अवसर मिल रहे हैं।

*कांग्रेस के काले दिन समाप्त हुए*
सिविल लाइंस विधायक ने कहा कि कांग्रेस के काले दिन समाप्त हो चुके हैं और भाजपा सरकार में सहकारिता विभाग पारदर्शी तरीके से काम कर रहा है। पीएम मोदी के “भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस” की नीति के तहत राज्य सरकार मिशन मोड पर काम कर रही है। कांग्रेस सरकार के समय से लंबित 792 प्रकरणों में से 519 प्रकरणों का निस्तारण किया जा चुका है। सहकारिता मंत्री गौतम दक ने पहली ही बैठक में भ्रष्टाचार पर कार्रवाई शुरू की। 11 अधिकारियों के खिलाफ एसीबी में अभियोग चलाने की स्वीकृति दी गई। 10 अधिकारियों और इतने ही कर्मचारियों को निलंबित किया गया। सहकारी संस्थाओं के रिकॉर्ड की फाइलें वर्षों से धूल खा रही थीं। भाजपा सरकार ने एक-एक फाइल की जांच शुरू करवाई और करोड़ों रुपए की बकाया राशि वसूल की गई।

*पूर्व मंत्री ने की चुनावों में धांधली*
2023 में हुए सहकारी समितियों के चुनावों को लेकर भी शर्मा ने कांग्रेस को घेरा। उन्होंने कहा कि तत्कालीन सहकारिता मंत्री ने नियमों की धज्जियाँ उड़ाकर रख दी थीं। कहीं पर्चे खारिज करवाए, तो कहीं पर्चे भरने ही नहीं दिए और कई स्थानों पर पर्चे फाड़कर चुनाव प्रक्रिया ही निरस्त करवा दी। इस विषय में हाईकोर्ट ने भी इनके खिलाफ आदेश जारी किए थे।

*को-ऑपरेटिव्स की सतत निगरानी जरूरी*
विधायक शर्मा ने कहा कि सहकारी समितियों में निश्चित अवधि पर ऑडिट करवाया जाए और रिकॉर्ड सार्वजनिक रखा जाए। जिन समितियों ने कभी ऑडिट नहीं करवाया और न कभी सरकार को रिकॉर्ड उपलब्ध करवाए, उनके पंजीयन निरस्त होने चाहिए। इसी के साथ, शर्मा ने सहकारी खेती को अधिक टिकाऊ कृषि मॉडल के रूप में बढ़ावा देने और सहकारिता में शहरों का प्रतिनिधित्व बढ़ाए जाने का सुझाव भी दिया।

*सहकारिता हमारे लिए जीवनशैली*
विधायक शर्मा ने कहा कि भारत के लिए सहकारिता एक जीवनशैली है। भगवान राम ने सहकारिता का प्रयोग करके रामसेतु का निर्माण किया और भगवान कृष्ण ने सहकारिता से गोवर्धन पर्वत को धारण किया। शर्मा ने कहा कि आधुनिक सहकारिता के आंदोलन का श्रेय भी राजस्थान को है। राजस्थान में सहकारिता आंदोलन की शुरुआत 1904 में अजमेर के भिनाय से हुई। उसी वर्ष डीग में पहला सहकारी बैंक डीग में खुला। इसी दौरान केंद्र में भी सहकारिता कानून बनाया गया।

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