( पारो शैवलिनी की खास रपट)
चित्तरंजन:चित्तरंजन रेल नगरी के अॉफिसर्स क्लब में आयोजित एक सम्मान समारोह में देश के सर्वोच्च व्यक्तित्व सुकान्तो भट्टाचार्य को चिरेका के सेवा निवृत्त रेलकर्मियों ने सम्मानित किया।मौके पर चित्तरंजन के ही एक और महान आत्म पंडित रविशंकर के परम शिष्य जो चित्तरंजन रेल नगरी के लोगों को आर्ट ऑफ लिविंग के माध्यम से योग और मेडिटेशन के माध्यम से जीने की कला सिखाते हैं।
सौमित्र चक्रवर्ती ने मौके पर कहा,जीने की कला जिसे आता है उसे जीने की राह खुद -व खुद उसे मंजिल तक पहुंचा देती है। सुकान्तो भट्टाचार्य ने सेवा निवृत्त लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि जब तक मनुष्य जीवित है वो प्रकृति से बहुत कुछ सीख सकता है। कवि पारो शैवलिनी की कविता भी कुछ ऐसी ही बात हमें सिखाता है। पारो शैवलिनी के शब्दों में –” प्रकृति को संरक्षण दो,वो तुम्हें हरियाली देगा। जीवन भर खुशियाली देगा।” इसी प्रकृति का एक चितेरा है सुकान्तो भट्टाचार्य। मौके पर सुकान्तो भट्टाचार्य और सौमित्र चक्रवर्ती के साथ चिरेका के कई सेवा निवृत्त लोग यहाँ उपस्थित रहे।
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