*जयपुर (आकाश शर्मा): “हेरिटेज नगर निगम द्वारा कांवटिया अस्पताल के पास स्थित भूखंड की नीलामी के मामले में एसीबी जांच की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने सिविल लाइंस विधायक गोपाल शर्मा की लिखित शिकायत के आधार पर परिवाद दर्ज करके जांच अधिकारी को मामला सुपुर्द कर दिया है। यह जानकारी विधायक शर्मा ने अपने कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में दी। शर्मा ने बताया कि मंगलवार को ही उन्होंने एसीबी जांच के लिए पत्र लिखा था और प्रकरण से जुड़े दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए जांच की अनुशंसा की थी। प्रेस वार्ता के दौरान शर्मा ने कहा कि कुछ लोगों के निजी लाभ के लिए व्यापक जनहित को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस मामले को लेकर लोगों के मन में कई सवाल हैं और संशय की स्थिति बनी हुई है, इसलिए जनता के सामने सच्चाई लाना आवश्यक है।उल्लेखनीय है कि कांवटिया अस्पताल के पास स्थित भूखंड संख्या 56-बी की नीलामी प्रक्रिया को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। हेरिटेज नगर निगम द्वारा 10 जून, 2024 को की गई नीलामी प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की आशंका जताई जा रही है। विधायक गोपाल शर्मा ने एसीबी महानिदेशक को पत्र लिखकर इसका उल्लेख किया था। शर्मा ने लिखा था कि यह आरोप लगाया जा रहा है कि कुछ व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने के लिए महंगे मूल्य की जमीन सस्ती दर पर बेच दी गई। इस मामले में बिना जांच के किसी निष्कर्ष पर पहुंचना कठिन है। इससे पहले 5 अगस्त को सिविल लाइंस विधायक ने नगर निगम आयुक्त को लिखा था कि कांवटिया अस्पताल के उन्नयन को लेकर राज्य सरकार विचार कर रही है, इसलिए जनहित में यह नीलामी नहीं होनी चाहिए थी।
विधायक शर्मा ने प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि कांवटिया अस्पताल में 200 बेड वाले सुपर स्पेशलिटी ट्रॉमा सेंटर की परियोजना विचाराधीन है। इसके लिए 54 करोड़ रुपए का तकमीना भी तैयार किया जा चुका है। इस विषय में उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर से बजट आवंटित करने का आग्रह किया था। इसके बाद सरकार ने 2024-25 के बजट में कांवटिया अस्पताल के उन्नयन की घोषणा की। शर्मा का कहना है कि एक तरफ सरकार ट्रॉमा सेंटर के बारे में विचार कर रही है, ऐसे में अचानक कांवटिया अस्पताल से जुड़ी हुई जमीन को औने-पौने दाम पर एक निजी अस्पताल को दिया जाना संदेह पैदा करता है। विधायक शर्मा ने नगर निगम की नीयत को लेकर भी सवाल किए। उन्होंने कहा कि निगम ने नीलामी के लिए जो विज्ञापन दिया, वह आधा हिंदी और आधा अंग्रेजी में था, यह बहुत अजीब बात है। एक सरकारी अस्पताल के पास निजी अस्पताल को जमीन देना और आवंटन से पहले किसी प्रकार की शर्त नहीं लगाना, यह कोई सामान्य बात नहीं है। इन्हीं कारणों से एसीबी जांच जरूरी है।
हालांकि शर्मा ने स्पष्ट किया कि इस मामले को राजनीतिक रूप नहीं दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह लोकहित से जुड़ा हुआ मामला है और इसे राजनीति के चश्मे से देखना उचित नहीं है। तथ्यों की गहराई में जाकर जांच किए बिना किसी को भी सर्टिफिकेट नहीं दिया जा सकता। एसीबी जांच पूरी होते ही सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे। प्रमाण सामने आने से पहले किसी पर दोषारोपण करना ठीक नहीं है। शर्मा ने विश्वास जताया कि एसीबी इस मामले की गहराई से जांच करके सच्चाई को उजागर करेगी।