दिल्ली:अर्जुन सिंह पश्चिम बंगाल की बैरकपुर सीट से सांसद हैं। सिंह ने अपनी सियासी पारी कांग्रेस से शुरू की थी। इसके बाद उन्होंने तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया। वह भाटपारा से टीएमसी के भी विधायक रहे हैं।देश में लोकसभा चुनावों का एलान शनिवार को हो जाएगा। तमाम दल अपनी रणनीतियों को धार देने में लगे हैं। कई पार्टियों ने अपने उम्मीदवार भी घोषित कर दिए हैं। हाल ही में तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल के लिए अपने सभी 42 नामों की घोषणा की। इसमें बैरकपुर सीट से मौजूदा सांसद अर्जुन सिंह का टिकट काट दिया गया। अर्जुन 2019 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते थे लेकिन बाद में उन्होंने पाला बदल लिया था। टीएमसी नेता एक बार फिर भाजपा में शामिल हो गए हैं। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस पर विश्वासघात करने का आरोप लगाया है।
आइये जानते हैं कि अर्जुन सिंह का सियासी सफर कैसा रहा है? 2019 में उन्हें कितने वोटों से जीत मिली थी? अर्जुन सिंह ने भाजपा क्यों छोड़ी थी? भाजपा में फिर क्यों गए?
वर्तमान में अर्जुन सिंह तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा सांसद हैं। वह पश्चिम बंगाल की बैरकपुर सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। अर्जुन का जन्म 1962 में बंगाल के उत्तर 24 परगना में हुआ। अर्जुन 12वीं तक पढ़ाई किए हुए हैं। उन्हें राजनीति विरासत में मिली। सिंह के पिता सत्यनारायण सिंह कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे हैं जो मूलतः बिहार से सीवान के रहने वाले थे। सत्यनारायण उत्तर 24 परगना जिले की भाटपारा सीट से तीन बार विधायक रहे। कहा जाता है कि अर्जुन सिंह के पिता ने उत्तर 24 परगना के औद्योगिक क्षेत्र में टीएमसी संगठन बनाने में मदद की। इस इलाके में अधिकांश मतदाता बिहार और उत्तर प्रदेश से आए प्रवासी हैं।अर्जुन सिंह शुरुआती दिनों में जूट मिल्स से जुड़े रहे। उन्होंने अपनी सियासी पारी कांग्रेस से शुरू की। कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने 1995 में भाटपारा नगरपालिका में पार्षद का चुनाव जीता था। जब ममता बनर्जी ने कांग्रेस छोड़कर तृणमूल कांग्रेस बनाई तो अर्जुन सिंह भी उनकी पार्टी में आ गए। ममता ने 1999 में उन्हें तृणमूल कांग्रेस ने प्रदेश की कोर समिति में जगह दी। 2019 तक अर्जुन इस पद पर बने रहे। अर्जुन ने 2001 में हुए पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाई और सफलता भी हासिल की। इसके बाद भी तीन बार भाटपारा से टीएमसी के विधायक रहे। 2019 लोकसभा चुनाव से पहले सिंह ने अर्जुन सिंह ने टीएमसी विधायक के रूप में इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए। 2019 के लोकसभा चुनाव में बैरकपुर सीट से उतरे अर्जुन सिंह ने टीएमसी प्रत्याशी दिनेश त्रिवेदी को 14,000 से अधिक वोटों से हराया।बाद में भाजपा ने सुकांत मजूमदार को बंगाल भाजपा का अध्यक्ष बना दिया। कहा जाता है कि उनके नेतृत्व में अर्जुन सिंह को उम्मीदों के मुताबिक तबज्जो नहीं मिली। वह केंद्र सरकार की जूट मूल्य नीति के भी आलोचक रहे हैं।सिंह ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात की थी। इसके बाद मई 2022 में वह टीएमसी में शामिल हो गए। अर्जुन सिंह अभिषेक बनर्जी की उपस्थिति में पार्टी में शामिल हुए थे।हाल ही में टीएमसी ने पश्चिम बंगाल की सभी 42 सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित किए। पार्टी ने बैरकपुर से मौजूदा सांसद अर्जुन सिंह का टिकट काटकर मंत्री पार्था भौमिक को मौका दे दिया। इसके बाद अर्जुन सिंह ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और कई आरोप लगाए। अर्जुन सिंह ने बैरकपुर से टिकट न मिलने पर कहा कि पार्टी ने उनके साथ विश्वासघात किया है। उन्होंने बैरकपुर सीट से टीएमसी उम्मीदवार पार्थ भौमिक के खिलाफ चुनाव लड़ने की कसम खाई और कहा कि वे उन लोगों को निराश नहीं कर सकते, जिन्होंने 2019 में चुनकर उन्हें लोकसभा में भेजा था। अर्जुन सिंह ने सीएए को लेकर ममता बनर्जी के राजनीतिक रुख पर भी पलटवार किया। उन्होंने कहा कि मैं पड़ोसी देशों में उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों के सपनों को पूरा करने और उन्हें नागरिकता का अधिकार देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को धन्यवाद देता हूं। इन सबके बीच शुक्रवार को अर्जुन सिंह ने टीएमसी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया।
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