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भाषा के अस्तित्व को बचाने के लिए एक और आन्दोलन की जरूरत है, कहा साहित्यकार व नाटककार विराज गांगुली ने

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चित्तरंजन:चित्तरंजन रेल नगरी में विभिन्न जगहों पर अंतरासटरिय मात्रिय भाषा दिवस के अवसर पर स्थानीय एरिया फोर सामुदायिक भवन के निकट विद्यासागर पार्क में आयोजित कार्यक्रम में बंगला भाषा के जाने माने साहित्यकार व नाटककार विराज गांगुली ने कहा कि मौजूदा समय में हम अपनी भाषा को भूल कर विदेशी भाषा को अपनाते जा रहे हैं जो उचित नहीं है। अपने भाषा के अस्तित्व को बचाने के लिए एक और आन्दोलन की जरूरत है। अगर यह आन्दोलन जारी नहीं रहा तो हमारी अपनी मातरी भाषा विलुप्त हो जाएगी। वहीं, हिन्दी को समर्पित संस्था किसलय के महासचिव पारो शैवलिनी ने कहा कि आंदोलन ही जीवन है। जिस जीवन में आंदोलन नहीं वो जीवन वयरथ है। पारो शैवलिनी ने कहा कि,विदयासागर पार्क में एक कुंआ भी है जिसे साफ-सफाई कराने की जरूरत है। उनहोंने कहा, आने वाले समय में इसी विदय़ासागर पार्क से एक और भाषा आंदोलन की शुरुआत होगी । ऐसा मुझे विश्वास है।पार्क समीप अमलादही फ्री पराईमरी स्कूल के प्राचार्य डाक्टर प्रदीप दत्ता व गोपा घोष स्कूली बच्चों के साथ शिरकत की। बच्चों ने एक गीत भी गाया।दूसरी तरफ, संध्या समय चित्तरंजन के बासंती इनसीचयूट में तथा रूपनारायणपुर यूथ कलब पश्चिम रांगामाटिया सांसकरितिक संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कवि प्रदीप बनरजी,परसून,कालो सोना दत्ता,निरमल मुखर्जी,सुभास बोस,बासंती मजुमदार आदि ने सारगर्भित वक्तव्य रखे।

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