प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार शाम अपने दूसरे कार्यकाल का पहला कैबिनेट विस्तार किया. पीएम की नई टीम में 43 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई.देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इस व्यापक फेरबदल से कैबिनेट में पिछड़ा वर्ग, दलितों, आदिवासियों और महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा है जिसके कारण नई कैबिनेट में ‘मिनी इंडिया’ की झलक और पीढ़ियों का बदलाव दिखाई देता है.जंबो विस्तार के बाद अब मोदी कैबिनेट में देश के 27 राज्यों को जगह मिल गई है. वहीं कैबिनेट में सबसे अधिक 27 ओबीसी, 12 दलित, 11 महिलाएं, आठ आदिवासी और पांच अल्पसंख्यक मंत्री हो गए हैं. केंद्रीय कैबिनेट में अब पीएम मोदी सहित 78 मंत्री हो गए है.विस्तार में 14 नए ओबीसी मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल किया गआ है. इससे टीम मोदी में ओबीसी मंत्रियों की संख्या 13 से बढ़कर 27 हो गई है.इसी तरह दलितों के प्रतिनिधित्व का आंकड़ा भी चार गुना बढ़कर तीन से 12 हो गया है। कैबिनेट विस्तार में समाज के वंचित वर्ग को उनके अधिकार और उचित प्रतिनिधित्व दिलाने की कोशिश साफ तौर पर दिखाई देती है.
वहीं सात नए चेहरों को शामिल किए जाने के साथ प्रधानमंत्री की टीम में महिलाओं की संख्या भी काफी बढ़कर 11 पर पहुंच गई है.नई कैबिनेट में 16 विशेषज्ञ भी शामिल किए गए है जिनमें चार डॉक्टर और तीन पूर्व आईएएस हैं। इसके साथ ही कैैबिनेट में अब 13 वकील,पांच इंजीनियर भी मंत्री बन गए है। बताया जा रहा है कि कैबिनेट विस्तार में इस फेरबदल में युवा और अनुभवी नेताओं के मिश्रण से सरकार को और मजबूती दिलाना है.केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, सूचना प्रसारण मंत्री प्रकारश जावड़ेकर सहित 11 मंत्रियों की की छुट्टी ने यह साफ कर दिया है कि कैबिनेट विस्तार में परफॉर्मेंस भी एक बड़ा मुद्दा रहा.सरकार से कई वरिष्ठ नेताओं की विदाई के बाद मौजूदा कैबिनेट में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अब एकमात्र ऐसे सदस्य बचे हैं, जिन्होंने 1998 और 2004 की तत्कालीन वाजपेयी सरकारों में भी काम किया है.कैबिनेट विस्तार में उत्तरप्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधने के साथ-साथ 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए सरकार में पीढ़ी परिवर्तन की रणनीति साफ दिख रही है.मोदी 2.0 सरकार के इस जंबो विस्तार के बाद नई कैबिनेट जनता से नए कनेक्शन वाली कैबिनेट कहा जाए तो कुछ गलत नहीं होगा। उत्तरप्रदेश चुनाव से पहले ओबीसी वोटरों को साधने के लिए कैबिनेट में कई ओबीसी चेहरे को शामिल किया जा रहा है. देश की आबादी में ओबीसी की करीब-करीब आधी हिस्सेदारी है और इस बड़े वोट बैंक पर पार्टी 2024 से पहले अपनी पकड़ को मजबूत करना चाह रही है इसलिए अब तक के इतिहास में सबसे ज्यादा ओबीसी चेहेरों को मंत्री बनाया गया है.कैबिनेट विस्तार से युवा कैबिनेट की वर्षों पुरानी आकांक्षा को भी पूरा कर दिया है। कैबिनेट विस्तार में 6 ऐसे युवा मंत्री बने है जिनकी उम्र 35-45 साल के बीच है.अब मोदी कैबिनेट में मंत्रियों की औसत उम्र 58 वर्ष हो गई है.
साभार:वेबदुनिया/अमर उजाला
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