मणिपाल हॉस्पिटल ब्रॉडवे ने जटिल एयरवे स्टेंट ऑपरेशन में सफलता पाई

कोलकाता, 18 सितम्बर, 2025: मुर्शिदाबाद की ४७ वर्षीय महिला हाल ही में मणिपाल हॉस्पिटल ब्रॉडवे में भर्ती हुईं। मणिपाल हॉस्पिटल्स नेटवर्क भारत के सबसे बड़े हेल्थकेयर ग्रुप्स में से एक है। रोगी का इलाज डॉ. देबराज जश, हेड – पल्मोनोलॉजी, ने किया। वह गंभीर सांस की तकलीफ़ के साथ पहुँचीं। शहर के अलग–अलग प्राइवेट हॉस्पिटल्स में कई बार इलाज होने के बावजूद स्थिति बिगड़ती जा रही थी। उनकी श्वासनली बहुत संकरी हो गई थी, जिसके कारण BiPAP, राइस ट्यूब और कैथेटर जैसी लाइफ सपोर्ट ज़रूरी हो गई थी।जाँच में पता चला कि पहले लगाया गया स्टेंट खिसककर और अंदर चला गया है और श्वासनली को और भी ब्लॉक कर रहा है। ब्रॉन्कोस्कोपी जैसी सामान्य प्रक्रिया सफल नहीं हो पाई, क्योंकि नली बहुत संकरी थी। रोगी को सांस लेने के लिए ट्रैकियोस्टॉमी (गले की नली में छोटा ऑपरेशन) की ज़रूरत पड़ी।मणिपाल हॉस्पिटल ब्रॉडवे में डॉ. देबराज जश की अगुवाई में विशेषज्ञों की टीम ने बेहद जटिल प्रक्रिया की। सबसे पहले बलून डाइलेशन किया गया, लेकिन स्टेंट नली को बंद कर रहा था। इसके बाद विशेष जाल जैसे उपकरण से स्टेंट को सफलतापूर्वक बाहर निकाला गया। इससे श्वासनली फिर से खुल गई और रोगी आसानी से सांस लेने लगीं।
डॉ. देबराज जश ने कहा, “यह बहुत मुश्किल और जोखिम भरा केस था। श्वासनली बहुत संकरी थी और खिसका हुआ स्टेंट स्थिति को और कठिन बना रहा था। रोगी कई हॉस्पिटल बदल चुकी थीं, लेकिन जोखिम इतना ज़्यादा था कि इलाज संभव नहीं हो पा रहा था। हमारे यहाँ सही प्लानिंग, टीमवर्क और एडवांस्ड टेक्नोलॉजी की मदद से हम स्टेंट निकालने और रोगी की श्वासनली को सामान्य करने में सफल रहे।”करुणा साहा (बदला हुआ नाम), जो अब स्वस्थ हैं, ने कहा, “मैं हफ़्तों से सांस की समस्या से परेशान थी और एक हॉस्पिटल से दूसरे हॉस्पिटल भटक रही थी। मणिपाल हॉस्पिटल ब्रॉडवे में आकर मुझे उम्मीद मिली। मैं डॉ. देबराज जश और उनकी टीम की आभारी हूँ, जिन्होंने मुझे फिर से सामान्य सांस लेने की आज़ादी दी।”
जहाँ रोगी पूरी तरह लाइफ सपोर्ट पर निर्भर थीं, अब वे ख़ुद चल-फिर पा रही हैं – यह बहुत बड़ा बदलाव है। यह घटना साबित करती है कि मणिपाल हॉस्पिटल ब्रॉडवे जटिल श्वसन रोगों को कितनी कुशलता से संभाल सकता है और आधुनिक, जीवन रक्षक इलाज दे सकता है।